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जिला खेल शिक्षा अधिकारी की उदासीनता से खिलाड़ी हुए परेशान खेलों के नाम पर निकलते हजारों के बिल लेकिन व्यवस्था के नाम पर कुछ नहीं

मंदसौर में आयोजित होने वाली क्रिकेट स्पर्धा गरोठ में हुई आयोजित ,,जिला शिक्षा अधिकारी और गरोठ कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के राजेश नाडिया की  लापरवाही से टूर्नामेंट में व्यवस्थाओं के नाम पर  दिखी भारी अनियमिता ,, 17 और 19 वर्षीय क्रिकेट स्पर्धा का आयोजन जिला स्तरीय गरोठ में आयोजित किया गया जहां गरोठ के शिक्षक राजेश नाडिया की देखरेख में टूर्नामेंट का आयोजन हुआ  जहां पर देखा गया कि ना बच्चों के बैठने की व्यवस्था ,,ना पीने के पानी की व्यवस्था ,,न टेंट ,,ना शिक्षकों के बैठने के लिए  कुर्सी ,,ना खेलने के लिए सही से  मेटी मिली न खेलने के लिए सही से बॉल मिली ,,नहीं ग्राउंड की साफ सफाई करवाई गई ऐसे ही पत्थरों में बच्चों को खेलने के लिए खड़ा कर दिया  गया ,,अब सवाल यह उठता है कि जब मध्य प्रदेश सरकार खेलों को बढ़ावा देने के लिए हर तरह से प्रयासरत हैं और खेल भावना से खेल खेलने के लिए खिलाड़ियों को उत्साहित किया जाता है,और खेलो में भाग लेकर मध्यप्रदेश का नाम आगे बढ़ाने के लिए सरकार तत्पर हैं लेकिन जिस तरीके से जिला खेल शिक्षा अधिकारी बंशीलाल बारीवाल और राजेश नाडिया, घाशीलाल जोकचंद की उदासीनता से बच्चे दिन भर कड़ी धूप में इधर-उधर बैठते हुए देखे गए ,खराब ग्राउंड में मैच खेलने को मजबूर हुए ,,क्या हजारों लाखों के बिल इसी नाम के निकाले जाते हैं ?क्या खेलों को बढ़ावा देने के लिए ऐसी व्यवस्था की जाती ?क्या मध्यप्रदेश सरकार जो बजट खेलों के लिए शिक्षा विभाग को आवंटित करती हैं क्या उसका बंटाधार इस तरीके से किया जाता ??इस मामले में जिला कलेक्टर को संज्ञान में लेते हुए ऐसे उदासीन अधिकारियों के ऊपर सख्त कार्रवाई करना चाहिए ? बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाले ऐसे अधिकारियों के ऊपर सख्त कार्रवाई होना चाहि

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