नीमच। डॉक्टर कोम के नाम पर अपवाद बनते जा रहे है नीमच के चौधरी चिकित्सालय में सेवा देने वाले डॉक्टर अभिषेक तिवारी का अमानवीय चेहरा सभी के सामने आने लगा है। कोरोना काल में खूब आर्थिक मंजा सूतने वाला डॉक्टर अभिषेक तिवारी का हर तरफ तगड़ा विरोध होने लगा है वहीं कुछ पीड़ित लोग तो इसका डॉक्टरी लायसेंस निरस्त करने की मांग कर रहे है। अपने आप को तुर्रम खां समझने वाले इस डॉक्टर की मरीजों व उसके परिजनों के साथ दादागिरी बढ़ती जा रही है, लोगो की माने तो अधिकतर लोग अब इस डॉक्टर की वजह से चौधरी नर्सिंग होम जाने में भी कतराने लगे है। जिस प्रकार से डॉक्टर अभिषेक तिवारी का मरीजों व उसके परिजनों के साथ दुर्व्यव्यवहार रहता है उससे लगता है कि यह कोई डॉक्टर नहीं किसी गली मोहल्ले का आदतन झगड़ालू दादा पहलवान किस्म का व्यक्ति हो। इसके द्वारा मरीजों के साथ किए जाने वाले दुर्व्यवहार से इसे डॉक्टर कहना भी डॉक्टर शब्द की तोहीन करने के समान है। इसके ऐसे रवैये से डॉक्टर कोम बदनाम हो रही है वहीं चौधरी चिकत्सालय की गरिमा को भी ठेस पहुंच रही है पूर्व की उसकी शिकायते है जिसमें यह डॉक्टर यह कहता है कि उसकी मर्जी होगी तब वो मरीज देखेंगा नहीं तो नहीं चाहे मरीज की जान पर ही क्यों न बन आये। स्वास्थ्य विभाग के नियमों की धज्जियां उड़ाने वाला डॉक्टर अभिषेक तिवारी का व्यवहार मरीजो व उसके परिजनों के लायक नहीं रहा है मरीज व उसके परिजन भी इस डॉक्टर से घृणा करने लगे है। यह मानव सेवा नहीं बल्कि पीड़ित मानवता की सेवा के नाम पर व्यवसाय कर रहा है इस डॉक्टर अभिषेक तिवारी का मरीजों के परिजनों के साथ दुर्व्यवहार को प्रदर्शित करने वाला एक वीडियों जिसमें इसके नये कारनामे को प्रदर्शित करता वीडियों वर्तमान में सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। उस वीडियो में यह मरीजों के परिजनों के साथ दुर्व्यवहार तो कर ही रहा है, वहीं दादागिरी तो ऐसी कर
रहा है मानों यह डॉक्टर नहीं किसी अखाड़े का पहलवान किस्म का व्यक्ति हो। वीडियों में वह गाली बकता भी दिख रहा है। बीते दिवस की घटना को छोड़ दे तो भी पूर्व में कुछ लोगो न इसकी शिकायतें स्वास्थ्य विभाग, जिला कलेक्टर कार्यालय सहित सीएम हेल्पलाईन में भी कर रखी है वहीं इस डॉक्टर ने पत्रकार मनीष चान्दना के साथ जनवरी 2022 में जब वह अपने बीमार परिजन के साथ पहुंचे थे तब दुर्व्यवहार किया और उस समय सुबह 7 बजे भी मरीज को नहीं देखते हुए भाग जा यहां से कहकर भगा दिया था, जबकि मरीज की हालत बहुत खराब थी, मरीज का स्वास्थ्य बहुत अधिक बिगड़ने के बाद भी इस डॉक्टर की मर्जी नहीं थी तो इसने मरीज को नहीं देखा और कुत्ते को भगाते है वैसा भगा दिया था। जिसके बाद मनीष चान्दना ने डॉक्टर के विरूद्ध तत्समय कई जगह शिकायतें की गई और कुछ समाचार पत्रों में समाचार भी प्रकाशित हुए थे। वहीं तत्समाय जिला स्वास्थ्य विभाग ने जाँच दल का भी गठन किया था वही सीएम हेल्पलाईन पर भी इसकी शिकायत की गई थी, लेकिन डॉक्टर का हुआ कुछ भी नहीं क्योंकि शिकायतो पर लीपापोती करने का काम जिम्मेदारों द्वारा किया जाता आ रहा है। डॉक्टर के खिलाफ शिकायतों पर आज भी मनीष चान्दना निरंतर नजर बनाये हुए है और निरंतर अपडेट रख पत्राचार करे हुए है। ऐसा डॉक्टर जो अपने पेशे के विरुद्ध जाकर मरीजों व उनके परिजन से अभद्र व्यवहार करता है उस डॉक्टर का लायसेंस निरस्त हो इस मांग के साथ मनीष चांदना डटे हुए है नहीं होती कार्यवाही क्योंकि हर तरफ होता है ऐसा खेल जहां ईमानदारी हो जाती हैं फेल इस डॉक्टर के अमानवीय व दुर्व्यवहार को लेकर कई जगह शिकायतें कर रखी है, लेकिन हर जगह शिकायतो पर ईमानदारी से कार्य नहीं होने से यह बच के निकल जाता है। शासन प्रशासन में बैठे जिम्मेदारों को देखों कि कई शिकायतों के बाद भी इस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है शिकायत को कचरा बॉक्स में डाल देने से इसके हौंसले बुलंद है और ये मरीजों के साथ आये दिन दुर्व्यवहार करने का काम कर रहा है आयुष्मान योजना का नाम लिया है नहीं कि भिखारी समझ भगाने का काम करते है हर आदमी का अपना स्वाभिमान होता है और शासन प्रशासन जो भी शासन की योजनाएं चलाता है उस पर आम आदमी का हक रहता है, और आम आदमी उस योजना का लाभ लेने का काम करता है लेकिन कुछ जगहों पर वह योजनाएं मूर्त रूप लेती नजर नहीं आती है क्योंकि वहां जिम्मेदारों की अनदेखी का कारण प्रमुख रहता है।नीमच जिला मुख्यालय पर स्थित प्रायवेट अस्पतालों की बात करे तो कुछ तो अपवाद रूपी निजी अस्पताल ऐसे हो गये है जहां आयुष्मान योजना का लाभ देना मुनासिब भी नही समझा जाता है। यदि किसी मरीज ने आयुष्मान योजना का नाम लिया और यदि वह बीमारी आयुष्मान योजना के तहत आ भी रही है होगी तो उसे टालते हुए उस मरीज को वहां से भगाने का काम ही किया जाता है, कुछ जगहों पर तो आयुष्मान कार्ड दिखाने पर उसे भिखारी समझा जाता है और मरीज को भगा दिया जाता है और उसके साथ दुर्व्यवहार तक किया जाता है, यह जिला प्रशासन के लिए शर्म की बात है जिला प्रशासन की आंख के नीचे प्राइवेट अस्पताल के हौंसले इतने बड गए की वे शासन की योजनाओं को पलीता लगाते नजर आ रहे हैं जब कि प्राइवेट अस्पताल को मरीज का आयुष्मान योजना में इलाज के बाद शासन से अस्पतालों को बराबर रूपया मिलता है रात 12 बजे बाद अचानक हुए बीमार तो दवाओं से नहीं दुआओं से बचेगी जिंदगी नीमच में अगर भगवान ना करे रात्रि 12 बजे बाद आपके किसी परिजन का अचानक से स्वास्थ्य खराब हुआ तो उनका भगवान ही रक्षक है। नीमच में दवाओं से नहीं दुआओं से ही जिंदगी बच सकती है। निजी चिकित्सालय के हालात तो इतने दयनीय हो गये है कि रात को कम्पाउंडर के भरोसे रहने वाले निजी चिकित्सालयों में डॉक्टर मरीज को देखने आना ही पसंद नहीं करते है कम्पाउंडर को इतना सिखाया और पड़ा के रखा जाता है कि वे मरीज के परिजन को इस प्रकार समझाते है कि डॉक्टर अभी नहीं आ सकते है आप कही और मरीज को ले जाओ। परेशान परिजन इलाज की तलाश में यहां वहां धक्के खाते है और जब मरीज को इलाज नहीं मिलता है तो अंत में शासकीय अस्पताल नजर आता है। नीमच में निजी क्षेत्र के कुछ अपवाद रूपी डॉक्टर के कारण पीड़ित मानवता के नाम पर की जाने वाली नीमच की स्वास्थ्य सेवा अब व्यवसाय बन चुकी है। कोरोना काल में इलाज के नाम पर जमकर व्यवसाय करने वाले डॉक्टर में अब मानवता नहीं बची है। ऐसे में नीमच की जनता का अब भगवान ही मालिक है। ऐसी कई घटनायें अकसर आमजन के साथ होती है लेकिन मजबूरी में कई लोग तो शिकायत नहीं कर पाते है। जबकि ऐसे लापरवाह डॉक्टरों पर लगाम लगाना आवश्यक हो गया है। जब जागरूक लोगो के साथ ही इस प्रकार की घटनाएं हो सकती है तो आम आदमी की हालात क्या हो सकती है वो समझा जा सकता है।
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