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मल्हारगढ़ जनपद में मृतक के परिवार को छोड़ अन्य की जमीन की पावती की कॉपी लगाकर अनुग्रह प्रकरण किया फैल ,आखिर किसने किया इतना बड़ा खेल


मल्हारगढ़  मन्दसौर वित्तमंत्री देवड़ा के क्षेत्र मल्हारगढ़ में गरीबो के साथ हो रहा छलावा अधिकारी अपनी धुन में मस्त ध्यान दे तो क्यो ???इनके पास कोई राजनीतिक पावर नही ,पैसा नही केवल है तो ईमानदारी और लाचारी जिसका नाजायज फायदा क्षेत्रीय जनपद के सम्बल योजना के कर्मचारी अधिकारी उठाने पर तुले हुवे है अपील के बाद भी पात्र को किया अपात्र गरीब परिवार अनुग्रह सहायता के लाभ से वंचित प्राप्त जानकारी के अनुसार मल्हारगढ़ जनपद के गांव बाबुखेड़ा के गांव चावली निवासी बालमुकुंद पिता वरदीचंद मेघवाल  की मृत्यु 2019 में हो गईं थी जिसके बाद परिवार में केवल एक महिला मुखिया सहित 2 बच्चे ही रह गए है जिसके बाद पंचायत के सचिव द्वारा जारी हितग्राही की पात्रता प्रमाण पत्र अनुसार आवेदन मल्हारगढ़ जनपद में 3 महीने की समयावधि के दौरान प्रस्तुत किया लेकिन जांचकर्ता  द्वारा  आवेदन को टालमटोल करते करते प्रथम आवेदन को निरस्त कर दिया जिसके बाद आवेदनकर्ता  विद्याबाई ने काफी परेशानियो का  सामना किया और मन्दसौर जिला पंचायत में अपील की ओर आवेदन प्रस्तुत किया कि में पात्र हु ओर मुजे अनुग्रह सहायता का लाभ मिले जिसके बाद से जिला पंचायत से जांच हेतु वापस मल्हारगढ़ के कर्ताधर्ताओं के पास आई वही से वापस वही खेल शुरू हो गया जबकि दस्तावेजो के अनुसार मृतक के परिवार के नाम पर एक हेक्टेयर भूमि से ज्यादा नही है वही मृतक बालमुकुंद मेघवाल का नाम केवल 32 आरी भूमि में ही सामलाती भूमि में जुड़ा हुवा है लेकिन यंहा के जाँचकर्ता व पंचायत की मिलीभगत से प्रकरण को निरस्त कर दिया गया  जिसके बाद सूचना अधिकार में मेरे द्वारा जानकारी मांगी गई उस जानकारी में कई चौकाने वाले तथ्य सामने आए जांच प्रकरण अनुसार पंचायत ने 01/03/2019 को पहले अनुग्रह में पात्रता  प्रमाण पत्र जारी कर रखा है वही 22/03/2019 को ठीक 21 दिन बाद  एक ओर अपात्रता श्रेणी का प्रमाण पत्र पँचायत द्वारा जांच में लगवाया गया लेकिन सवाल यह उठता है प्रकरण में राजस्व भूमि हेतु पटवारी रिपोर्ट कही से कही तक नही है  वही जांचकर्ता संजय ने  288 नम्बर 32 आरी भूमि जो म्रत्यु दिनांक व आज तक भूमि मृतक के परिवार के नाम पर नही थी न है जिसका प्रमाण आपको खबर के साथ प्रेषित हैं जिसमे से ग्राम पंचायत बाबुखेड़ा के गांव चावली में 288 सर्वे नम्बर की भूमि 2018 -19 -20 में केलाशिबाई चंपालाल के नाम से नकल में आ रही है तो जांचकर्ता इतना बड़ा खेल आखिर गरीब परिवार के साथ क्यो कीया यह समझ से परे है??? लेकिन कही न कही क्षेत्र के गरीब लोगों का शासन के नुमाइंदों से विश्वास उठता जा रहा है नियम कायदे ताक पर रखकर ही काम करते रहते है गरीब परिवारों को नियमो का हवाला देते देते ही थका देते है लेकिन इनके ऊपर कोई ठोस कार्यवाही नही होती वही मामले में जांचकर्ता ने दस्तावेजो में नकल न लगाते हुवे पावती की फोटोकॉपी कही न कही औपचारिकता पूरी करने के लिए लगवा रखी है अपील के बाद जांचकर्ता ने पुरानी पावति के आधार पर प्रकरण  करवाया निरस्त, शासन के  नियमो में क्या  जमीन की नकल लगाने का प्रावधान नही है नकल में किसी ओर के नाम पर है  जमीन अपील में वापस उसी जांचकर्ता से जांच करवाने का नतीजा है कि  योजनाओं को धरातल पर खुलेआम पलीता लगाते हुवे दिखते है लेकिन ऊपरी अधिकारी केवल आंख मूंदकर इनके ऊपर भरोसा करते रह जाते है।
वही क्षेत्रीय पटवारी से चर्चा की गई तो बताया कि मुझसे आज तक उक्त प्रकरण के मामले में कोई बात नही हुवी है और मैने कोई प्रमाण पत्र जारी नही किया है हितग्राही विद्याबाई बताया  कि जो 32 आरी जोड़कर मेरे पति  के नाम बताई है वह जमीन किसी ओर के नाम पर है उक्त प्रकरण अनुसार मुजे शासन की योजना का लाभ दिलवाया जावे वही मामले में जो भी जांचकर्ता दोषी हो उनके ऊपर कड़ी कार्यवाही हो ताकि आगे से गरीबो का फायदा उठाना बन्द कर दे  मनमर्जी से चलने वाले कुछ कर्मचारियों को लगता है कि कोई हमारा कुछ नही बिगाड़ सकता जिसको चाहे लाभ दे लेकिन कही न कही क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों की छवि धूमिल करने में लगे है जिसका सॉफ् अंदाजा आप इस प्रकरण में प्रकरण को फैल करने की मंशा से लगाए गए 288 सर्वे नम्बर से है जो कि परिवार से 2017 - 18 के बाद से ही  कही से कही तक ताल्लुक नही रखता है  जिला पंचायत में अपील का भी क्या मतलब निकला कैसे मुख्यकार्यपालन अधिकारी महोदय कैसे क्या हो रहा सिस्टम में किसकी गलती से छुटा पात्र परिवार  जिला कलेक्टर महोदय मामले को संज्ञान में लेकर दोषी अधिकारी / कर्मचारियों के ऊपर  जांच करवाकर कार्यवाही हो ओर परिवार को न्याय मिले ।

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