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बड़े सौभाग्य से मिलती है बेटियां नरसिंह चरित्र का वर्णन करते हुवे पण्डित उपाध्याय ने कहा


शीतला माता महिला मण्डल के तत्वाधान में सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन मालवा के संत महिदपुर के महुखोरा आश्रम लासुडीया मंसूर से पधारे भागवताचार्य पण्डित दीपक जी उपाध्याय  के मुखारविंद से किया जा रहा है जिसके तहत सोमवार को  पोथी का विधिवत पूजन कर कथा प्रारंभ की गई जहा कथा का प्रारंभ करते हुवे श्री उपाध्याय ने शिव विवाह एवं नरसिंह चरित्र की महिमा का वर्णन करते हुवे बताया कि बेटियां भाग्यवान के यहां ही पैदा होती है नरसिंह जी का जन्म जूनागढ़ के नागर ब्राह्मण परिवार में हुआ उनके  पास 56 करोड़ की जायदाद होने के बाद भी वे भगवान के सामने हमेशा रोते रहते थे लोग पूछते थे कि आपको अच्छी पत्नी एवं गुणवान बेटा मिला है फिर भी आप दुःखी क्यों रहते हो  अपने रोने का कारण वे किसी को नहीं बताते थे एक बार मंदिर के पुजारी ने बड़े आग्रह से उन्हें रोने जा कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि ईश्वर ने मुझे बहुत सम्मान एवं धन दिया लेकिन मुझे बेटी नहीं दी जिस कारण में कन्यादान जैसे महा पुण्य से वंचित हूं इस कारण में हमेशा चिंतित रहता हूं इस पर पुजारी ने भगवान पर भरोसा रखने को कहा नरसिंह जी को भी भगवान पर पूरा भरोसा था उन्होंने भगवान के सामने अपने आस्था प्रकट की जिस पर भगवान कृष्ण के आशीर्वाद से नरसिंह जी के यहां पुत्री का जन्म हुआ धीरे धीरे पुत्री बढ़ी हुई उसका विवाह योग्य वर के साथ किया गया कुछ दिनों बाद नानी बाई के यहां बेटी का जन्म हुआ ओर बड़ी होने पर  उसके विवाह का आयोजन हुआ जिसमें नरसिंह जी को भी निमंत्रण भेजा गया जिसमें मायरा लाने की भी बात कही जिसमें मायरे कि लिस्ट भेजी गई करोड़ रुपए रोकड़ी,सवा पच्चीस मण सुपारी,सवा पछीस मण रोली, एवं काजू बादाम के बोरे आदि की मांग की गई  नरसिंह जी  को पुत्री के यहां विवाह होने के कारण मयारा ले जाने की चिंता सताने लगी उनके पास पुत्री को देने के लिए कुछ नहीं था इस पर उन्होंने भगवान को याद करते हुवे कहा कि है मेरे सांवरिया  मेरे पास मायरे में देने के लिए कुछ नहीं है में तुम्हारे भरोसे हूं मेरा मान सम्मान अब आपके हाथ में है ऐसा कहकर वे अपने साथियों के साथ बेल गाड़ी लेकर तुलसी माता को लेकर नानी बाई के घर की ओर चल दिए नरसिंह जी की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान स्वयं बैलगाड़ी पर सवार होकर अपनी आठ पटरानियों को लेकर नानी बाई के यहां पहुंचे एवं मायरे कि रस्म पूरी की इस कथा के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया गया कि भगवान को सच्ची निष्ठा एवं भक्ति से जो पुकारता है भगवान  उसकी मदद को दौड़े चले आते हैं इसी प्रकार शिव पार्वती विवाह के प्रसंग का भी वर्णन किया गया जिसमें माता पार्वती ने भगवान को पाने के लिए जंगलों में हजारों वर्षों तक तपस्या कर भगवान शिव को प्राप्त किया शीतला माता महिला मण्डल द्वारा आयोजित इस सात  दिवसीय  कथा का  आज तीसरा दिन था जिसमें कई भागवत भक्तो ने उपस्थित होकर कथा का श्रवण किया

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