नीमच। जिले के समीपस्थ ग्राम पंचायत सावन में ग्रामीणों का मन मानो वर्तमान सरपंच से उठ सा गया हैं। सरपंच की कार्यप्रणाली से परेशान ग्रामीण आए दिन जिलाधीश को आवेदन पर आवेदन दे रहे हैं। वही मंगलवार 24 अक्टूबर को भी सावन के ग्रामीणों ने कलेक्टर कार्यालय एकत्रित होकर आवेदन दिया और सरपंच को पद से हटाने की मांग की, परन्तु सरपंच साहब को ऐसा कैसा राजनेताओं का संरक्षण मिल रहा हैं कि अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हो रही? दरहसल ग्राम पंचायत सावन के सरपंच जितेंद्र उर्फ जीवन पिता प्यारेलाल माली का बीते दिनों उज्जैन में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के साथ सन्दिग्ध अवस्था में दूसरी पत्नी द्वारा पकड़ने व जमकर धुनाई करने का एक वीडियो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। जिसके बाद जिले सहित देश भर में सुर्खियों में आए ग्राम पंचायत सावन के सरपंच की असलियत सबके सामने आ गई। जिससे ग्रामवासियों ने चरित्रहीन सरपंच को पद से हटाने की ठान ली और शिकायतों का दौर शुरू हुआ, कलेक्टर हिमांशु चंद्रा को सावन सरपंच की शिकायत भी की गई, जिसमें बताया कि सरपंच चुनाव लड़ने के दौरान जितेंद्र माली ने हलफ़नामे में गलत जानकारी देते हुए एक ही पत्नी होने का उल्लेख किया। जबकि सरपंच ने तो दूसरी शादी भी की हुई थी। सरपंच जितेंद्र माली की दूसरी पत्नी जो की पिपलिया मंडी की निवासी होकर नर्स का कार्य करती हैं। ग्रामीणों ने बताया कि गांव के हित में सरपंच द्वारा कोई कार्य ना करते हुए केवल ग्राम पंचायत को भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ाया गया। ग्राम पंचायत के अंतर्गत करवाए विकास कार्यों में लीपापोती कर भ्रष्टाचार किया गया। ग्रामीणों ने सरपंच पर गंभीर आरोप लगाते हुए बताया कि मनरेगा की मजदूरी अपने चाहने वालो के खातों में डलवाकर सरकार की राशि का गबन कर दिया। वही मनरेगा में ऐसे मजदूरों के नाम से राशि निकाली जो 75 वर्ष से ऊपर होकर कार्य करने में असक्षम हैं। ग्रामीणों ने दिए आवेदन में सरपंच की करतूतों से लेकर भ्रष्टाचार के बिंदु भी बताए और जांच कर विकास कार्यों के भौतिक सत्यापन को शिकायत कर्ता के समक्ष करवाने की मांग की गईं। वही उक्त सरपंच की पूर्व में कई शिकायतें हो गई जिसमें एक मामले में तो यह भी सामने आया कि सरपंच की दूसरी पत्नी उषा पति जितेंद्र माली जाति बांछड़ा निवासी पिपलिया मंडी ने नीमच महिला थाने में खुद के पति के खिलाफ एक शिकायती आवेदन देते हुए पति जितेंद्र के आंगनवाड़ी कार्यकर्ता पूजा मेघवाल से अवैध संबंध रखने के आरोप लगाए गए थे। हांलाकि उक्त मामले में सरपंच के दबाव के चलते व राजनीतिक संरक्षण प्राप्त होने से कोई कार्यवाही नहीं हुई थी, और उनकी दूसरी पत्नी से राजीनामा हो गया था। ऐसे में सरपंच साहब गांव की जिम्मेदारी से हट अपने ही मसलों में उलझ गए, ओर सरपंच पद की गरिमा को धूमिल किया गया। जिसके बाद इस प्रकार के अवैध संबंध, पंचायत के प्रति लापरवाही व शासन के रुपयों का दुरुपयोग कर भारी भ्रष्टाचार की जानकारी ग्रामवासियों को लगी तो अब ग्रामीणों में खासा आक्रोश सरपंच के खिलाफ देखने को मिल रहा हैं और ग्रामीण सरपंच को पद से हटाने की मांग कलेक्टर से कर रहे हैं।
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