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धनबल का हो रहा भरपूर उपयोग, प्रचार के लिए 10 दिन शेष, बड़े नेताओ की सभाओं पर जोर

नीमच, निप्र। चुनाव आयोग की सख्ती के चलते अभी तक शहर और गांवों में विधानसभा चुनाव का रंग नहीं जमा है। प्रत्याशियों के प्रचार वाहन और जनसंपर्क के बीच ढोल का शोर जरूर सुनाई दे रहा है, लेकिन मतदाता इस बार मौन है। इस कारण प्रत्याशियों की बैचेनी बढ़ी हुई है चुनावी घमासान शुरू होने के बाद अब प्रचार के लिए महज 10 दिन शेष बचे हैं। ऐसे में प्रत्याशियों के लिए हर घर-गांव में दस्तक देना मुश्किल हो गया है। दोनों प्रमुख दलों ने अधिकांश समय पहले उम्मीदवार घोषित करने और फिर बागियों को मनाने में लगा दिया। अब मुकाबला स्पष्ट हो गया है तो मतदाता का रूझान नेताओं को समझ नहीं आ रहा है। नेताओं की रैलियों, सभाओं में कार्यकर्ताओं की भीड़ तो नजर आ रही है, लेकिन आम लोग नदारद हैं। खास बात यह कि आम मतदाता भी इस बार मौन है। वह अपने मन की बात कहने को तैयार ही नहीं है। इस कारण परिणाम चौंकाने वाले आ सकते हैं जनता को लुभाने का हर संभव प्रयास देखा जा रहा है कि इस बार का चुनावी प्रचार 2018 की तुलना में अधिक हाईटेक हो गया है। जिसमें धनबल का भरपूर उपयोग हो रहा है। अभी तक उम्मीदवारों ने अपने स्तर पर मतदाताओं को खुश करने के लिए कई घोषणाएं कर दी है। जनता को लुभाने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है। मतदाता का मौन देख कर दोनों दलों के प्रत्याशी बैचेन हैं। अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए लगातार देश एवं प्रदेश के नेताओं की सभाएं कराने की डिमांड की जा रही है। इसी कड़ी में शुक्रवार को कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की जनसभा नीमच में कराई। जबकि भाजपा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सभा झांतला में करवा चुकी है और शुक्रवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की सभा ग्राम जाट एवं ग्राम पालसोड़ा में हुई दोनों दलों ने झोंकी ताकत चुनाव में इस बार दोनों दलों ने पूरी ताकत झोंक दी है। भाजपा अभी तक सरकार की योजनाओं और विकास के बल पर फिर से सत्ता में वापसी का प्रयास करती दिखी। शुक्रवार को अब धर्म और राम मंदिर का मसला केंद्रीय मंत्री ने उछाल दिया है। लगता है चुनाव नजदीक आने पर अब अन्य मुद्दे गौंण हो जाएंगे और पाकिस्तान, राष्ट्रवाद, हिंदू-सनातन धर्म के इर्द गिर्द राजनीति घूमेगी! उधर कांग्रेस भी अब पूरी ताकत के साथ सत्ता में वापसी के लिए जुटी हुई है। सभी बागियों को मना लिया गया है। मंच से बगावत कर चुके नेताओं को कमलनाथ पूरी तवज्जो भी दे रही हैं। यह संकेत देने का प्रयास किया जा रहा है कि कांग्रेस में इस बार गुटबाजी नहीं है, कांग्रेस एकजुट हो रही है खास मुद्दे हुए गायब चुनाव के लिए मतदान की तारीख नजदीक आ रही है तो बेरोजगारी, शिक्षा, चिकित्सा एवं बुनियादी सुविधाओं के मुद्दे गायब हो गए हैं। प्रत्याशियों और प्रचार करने आ रहे नेताओं ने एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप शुरू कर दिए हैं।

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