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दिगम्बर जैन परम्परा पर किए उपकारो के ऋण चुकाना सम्भव नही मुनिश्री सुप्रभ सागर मुनिश्री ससंघ के दर्शनार्थ पधारें जिला सत्र न्यायाधीश

सिंगोली धर्म की रक्षा, में उनके धर्मायतनों का बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। यदि धर्मायतनों का अस्तित्व नहीं रहे, तो धर्म का भी अस्तित्व समाप्त हो जाएगा, इसी बात को ध्यान में रखते हुए, आचार्य श्री शान्तिसागर जी महाराज ने जैन धर्मायतनों पर सरकार द्वारा किए गए उपसर्ग को दूर करने हेतु समाज को प्रेरणा दी और स्वयं ने भी उसके लिए कठिन तप साधना की। आज जैन धर्म के धर्मायतन सुरक्षित और संवर्धित हो रहे है, वह आचार्य महाराज की कृपा प्रसाद से ही है। धर्म का दूसरा स्तंभ उसके ग्रंथ होते है, यदि वे नष्ट हो जाए, तो धर्म के सिद्धान्तों का लोप हो जाएगा, इस बात की चिन्ता कर आचार्य श्री जी के प्रेरणा से और विद्वत्वर्ग के अथक परिश्रम से सिद्धान्त ग्रंथ श्री धवल जी को ताम्रपत्र पर अंकित करके उसे हजारो वर्षों के लिए सुरक्षित कर दिया। धर्म का तीसरा और मुख्य स्तम्भ है यह बात नगर में चातुर्मास हेतु विराजमान मुनिश्री सुप्रभ सागर जी महाराज ने 26 अक्टूबर गुरुवार को प्रातः काल धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि गुरु आचार्य महाराज ने इस पन्चमकाल में भी चतुर्थकाल सहश्य चर्या का पालनकर गुरुपद को गौरवान्वित किया चारित्रधर्म की रक्षा की। महापुरुषों उपमाओं या उपाधियों के लिए लालायित नहीं रहते है, आचार्य श्री जी भी उन्हीं विभूतियों में एक थे। समाज ने, त्यागीवर्ग ने उन्हें कई उपाधि दी, पर वे उन सबसे परे थे। वे उपाधियाँ उन्हें पाकर अपने आपको धन्य मानती थी।आचार्य श्री शान्तिसागर जी महाराज ने आगम और उपलब्ध शास्त्रों में की गई व्याख्याओं का कभी भी विरोध नहीं किया। वे कहते थे, 'मैं आगमपथ पर चलने वाला हूँ। पंथवाद का समर्थन नहीं करता हूँ । आपने अपने जीवन पर्यन्त शास्त्रों और आगम का सम्मान किया, और उनमें कही बातों को स्वीकार किया। उनके द्वारा किए गए -दिगम्बर जैन परम्परा पर किए उपकारों के ऋण को चुकाना सम्भव नहीं है वही प्रातः काल मुनिश्री सुप्रभ सागर जी महाराज के दर्शनार्थ जिला सत्र न्यायाधीश श्री मान कुलदीप जी जैन नीमच पधारें जहा पर मुनिश्री को श्री फल अर्पित कर आशीर्वाद लिया मुनिश्री के सानिध्य प्रातः काल चित्र अनावरण दिप प्रजलन मुनिश्री का पाद प्रक्षालन व शात्र दान न्यायाधीश श्री कुलदीप जी जैन व मेवाड़ प्रान्त के अध्यक्ष श्री लाभचन्द सिलोरिया अमित जैन व झांतला धनगाव थडोद समाज द्वारा किया गया उसके बाद संगीतमय पुजन आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज कि विज्ञान वर्धनी महिला मण्डल द्वारा कि गई व आचार्य श्री के अर्घ धनगाव थडोद झांतला ठुकराई महिला मण्डल द्वारा अर्ध चढ़ाया गया व उसके बाद आचार्य के जीवन पर परिचर्चा कि गई वही 27 अक्टूबर शुक्रवार को प्रातः काल 8 बजे मंगलाचरण चित्र अनावरण दिप प्रजलन 8:10 परम पूज्य चारित्र चक्रवर्ती प्रथमाचार्य श्री शान्तिसागर जी महाराज कि संगीतमय पुजन 8:45 मुनिश्री को शास्त्र दान 8:50 बजे परिचर्चा प्रारम्भ होगी वही सायं काल 6:15 बजे आचार्य वन्दना संगीतमय महाआरती रात्रि 8:30 बजे सांस्कृतिक कार्यक्रम बोराव पाठशाला द्वारा किया जाएगा वही आज के कार्यक्रम मे जिला सत्र न्यायाधीश कुलदीप जैन नीमच पण्डित सुरेश जी मारोरा संजीव वाझल शिवपुरी विजय चोधरी शिवपुरी श्रद्धेय जैन बडवाह (मुनि दर्शित सागर जी महाराज के ग्रहस्थ जीवन का परिवार) सुनिल जैन बडवाह दर्शित संघ शिवपुरी का समाज द्वारा तिलक माला व दुपट्टा पहनाकर स्वागत अभिनन्दन किया गया इस अवसर पर धनगाव थडोद झांतला ठुकराई बोराव महुआ बिजोलिया कांस्य आदी नगरों के समाजजन उपस्थित थे

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