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इन्दौर के इतिहास का सबसे दर्दनाक हादसा जिसमे 34 से भी अधिक जानें चली गई शहर दुखी संताप और सदमे में

इंदौर।राम नवमी पर हुए इस हादसे ने शहर को झझकोर कर रख दिया है। ये बड़ा हादसा बहुत बड़ी , कठिन और दर्द भरी सीख देकर जा रहा है। ये सीख किसी और के लिए नहीं है सिवाय जनता के ऐसे हादसे किसी एक की नही इस पूरे समाज की विफलता है सभी मिलकर दोषी हैं सीख लें अन्यथा ऐसे हादसे होते ही रहेंगे, आप अपनों  को खोते रहेंगे। आपने प्रकृति के नियम तोड़े, ईश्वर के घर के नियम तोड़े, मानवता के नियम तोड़े, शासन प्रशासन के नियम तोड़े , आध्यात्म के नियम तोड़े और अंततः अपनी जीवन की डोर ही तोड़ डाली सुबह पांच बजे तक 35 शव निकाले गए, यदि आर्मी ना आती तो यह भी संभव नहीं था, डिजास्टर मैनेजमेंट में शून्य तैयारी और व्यवस्था है। यहां दोष देने की बात नहीं पर सबसे स्मार्ट, स्वच्छ शहर में कुछ तो तंत्र हो अति और अतिक्रमण दोनो बुरे हैं। जनता करे, नेता करे या कोई और बड़े दृष्टिकोण में भुगतेगा सिर्फ मानव इस हादसे का दोष किसको दें  हमारी लालची प्रवृत्ति या धार्मिकता के नाम पर किए गए अवैध कब्जों को या प्रभु को क्या ईश्वर के घर में भी ऐसे धर्मांध अतिक्रमण चलेंगे प्रार्थनाएं, संवेदनाएं और सांत्वना सभी मृतकों के परिवारों हेतु हमसभी शहरवासी आपके साथ है , बस यही कह सकता हूं। निगम, प्रशासन, पोलिस, पत्रकार, संस्थाएं अथक रूप से  लगी हुई है, सेना भी आ गई है ईश्वर हमे अब क्षमा करें और इसका पटाक्षेप हो। महादेव चाहें अमरनाथ हो या केदारनाथ या फिर बेलेश्वर जब भी मनुष्य अति करता है तत्काल दंड देते हैं इसके सभी साक्षी है यह भूल जाने वाली घटना नहीं है, शहर को अब जाग जाना चाहिए। ईश्वर के लिए नही तो अपने परिवारों के लिए मानव का लालच एकमात्र दोषी है इस संपूर्ण दुर्घटना का सनातन कभी खतरे में नहीं , वह तो दिव्य, आध्यात्मिक, अलौकिक है हां मानवता अवश्य खतरे में है बड़े खतरे में निर्दोष मृतकों को श्रद्धांजलि, ईश्वर उनके परिवारों को संबल दें।


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