Header Ads Widget

खबरों एवं विज्ञापन के लिए संपर्क करे - हेमंत मेहरा...8319962512

MP Panchayat Election 2022: मध्य प्रदेश में OBC आरक्षण पर छिड़ा सियासी संग्राम, शिवराज और कमलनाथ में OBC को अपना बताने की होड़

भोपाल। मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय और पंचायतों के चुनाव बगैर ओबीसी आरक्षण के कराए जाने के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले ने राज्य की सियासत को गरमा दिया है. दोनों ही राजनीतिक दल ओबीसी का समर्थक होने की ताल ठोक रहे हैं और एक दूसरे पर दोषारोपण करने में लगे हैं. साथ ही दोनों दलों ने 27 फीसदी से ज्यादा ओबीसी वर्ग के उम्मीदवार बनाए जाने का ऐलान भी कर दिया है. सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव को लेकर अपनी ओर से दिए गए फैसले के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनावी तैयारियां तेज कर दी हैं. साथ ही आयोग की कोशिश है कि 30 जून तक दोनों चुनाव हो जाएं और पहली कोशिश इस बात की है कि कम से कम एक चुनाव नगरीय निकाय अथवा पंचायत का चुनाव 15 जून तक करा लिया जाए. नगरीय निकाय चुनाव के लिए आरक्षण और परिसीमन हो चुका है. मॉडिफाइड पेटिशन की कश्मकश: एक तरफ जहां राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव की तैयारी में लगा है तो दूसरी ओर भाजपा और कांग्रेस एक-दूसरे पर हमले करने में जुटी है. OBC को उसका हक न मिलने की वजह दोनों ही राजनीतिक दल एक दूसरे पर थोप रहे हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सर्वोच्च न्यायालय में ओबीसी आरक्षण को लेकर मॉडिफाइड पेटिशन दाखिल करने की बात कही है और उन्होंने कहा है कि जो तथ्य हैं उन्हें दोबारा मजबूती के साथ न्यायालय के सामने रखा जाएगा, ताकि OBC आरक्षण के साथ ही चुनाव हो. मुख्यमंत्री ने इस मामले में सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता से भी मुलाकात की और वस्तुस्थिति की जानकारी दी. उन्होंने अपना विदेश प्रवास भी निरस्त कर दिया है BJP Vs कांग्रेस: भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा का कहना है कि उनकी पार्टी आगामी चुनाव में 27 फीसदी से ज्यादा ओबीसी वर्ग के लोगों को टिकट देगी और अगर योग्य उम्मीदवार हुए तो इनकी हिस्सेदारी और भी ज्यादा हो सकती है. उनकी पार्टी का संकल्प ओबीसी आरक्षण के बिना चुनाव नहीं कराने का था लेकिन कांग्रेस की वजह से मामला उलझ गया है. 56% वोटबैंक पर निगाहें: वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने भी 27 फीसदी टिकट ओबीसी को देने का वादा करते हुए भाजपा पर हमला बोला. उन्होंने कहा भाजपा ने ओबीसी आरक्षण के लिए दो साल में कोई प्रयास नहीं किए, कोई कानून नहीं लाए. संविधान में संशोधन हो सकता था जिससे पिछड़ा वर्ग को आरक्षण मिलता मगर भाजपा ने ऐसा किया नहीं. राज्य में ओबीसी की आबादी 56 फीसदी से ज्यादा है और यही कारण है कि दोनों राजनीतिक दल इस वर्ग का दिल जीतने की कोशिश में लगे हुए हैं. सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद ऐसा लगने लगा है कि अब चुनाव बगैर ओबीसी आरक्षण के होना तय है. ऐसे में दोनों राजनीतिक दल एक दूसरे को ओबीसी विरोधी करार देकर अपना वोट बैंक मजबूत करना चाहते हैं।

Post a Comment

0 Comments