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बंगाली डॉक्टर तपन विश्वास की लापरवाही से बच्चे की मौत, प्रदर्शनकारीयों ने कहा क्लिनिक पर बुलडोजर चलाओ


जावरा : रिंगनोद में झोलाछाप डॉक्टर के लापरवाही पूर्वक किए गए इलाज से 6 वर्षीय बच्चे की मौत हो गई थी। शनिवार सुबह पीएम के बाद ग्रामीण बच्चे का शव लेकर बंगाली डॉक्टर के क्लिनिक पहुंचे। सड़क पर शव रख प्रदर्शन किया। तहसीलदार व एसडीओपी से बोले डॉक्टर की लापरवाही से इकलौता बेटा मर गया। गलत इलाज से पैसा कमाकर ये क्लिनिक खड़ा किया। इस पर बुलडोजर चलाओ। क्लिनिक तोड़ने की मांग पर अड़ गए। लिखित आश्वासन की जिद की तो तहसीलदार ने ज्ञापन की फोटोकॉपी पर यह लिखकर दिया कि नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी, तब मामला शांत हुआ मुंडला के बलवंतसिंह गुर्जर 6 वर्षीय बेटे अरिहंत उर्फ आर्यन काे खांसी के इलाज के लिए 22 अप्रैल शाम 6 बजे रिंगनोद में बंगाली डॉक्टर तपन विश्वास (झोलाछाप) के क्लिनिक ले गए। इंजेक्शन के बाद बेटे की तबीयत बिगड़ी तो झोलाछाप खुद बलवंत के साथ बच्चे को लेकर जावरा पहुंचा लेकिन यहां डॉक्टर ने जैसे ही अरिहंत उर्फ आर्यन को मृत घोषित किया बंगाली डॉक्टर भाग गया। शनिवार सुबह 9.30 बजे परिजन व ग्रामीण क्लिनिक के बाहर धरने पर बैठ गए। पहले जप सदस्य प्रतिनिधि कमलेश जायसवाल, गोपालसिंह गुर्जर, श्याम गुर्जर ने परिजन को आर्थिक सहायता दिलाने की मांग की। फिर जुटी भीड़ ने क्लिनिक तोड़ने व गिरफ्तारी मांग शुरू की। एसडीओपी रवींद्र बिलवाल व थाना प्रभारी दर्शना मुजाल्दे ने कहा डॉक्टर तपन विश्वास को हिरासत में लिया है लेकिन लोग नहीं माने। तहसीलदार मृगेंद्र सिसौदिया पहुंचे तो उनसे उसी वक्त बुलडोज़र चलवाने की मांग की। घंटेभर धरना चला। तहसीलदार ने शीघ्र नियमानुसार कार्रवाई का आश्वासन दिया तो वे चले गए। दोपहर 12.30 बजे गांव में बच्चे का अंतिम संस्कार किया। इधर कुछ लोगों ने रेत का मुद्दा उठा दिया। कहा एसडीएम रेत पकड़ने रात में आ सकते हैं तो अभी क्यों नहीं आए। तहसीलदार बोले मैं एसडीएम की तरफ से आया हूं और बच्चे के अंतिम संस्कार पर ध्यान दें। टीआई मुजाल्दे ने बताया बंगाली डॉक्टर के खिलाफ केस दर्ज किया है रिंगनोद में क्लिनिक के बाहर सड़क पर बच्चे का शव रखकर किया प्रदर्शन सस्ते व उधारी के चक्कर से अच्छा सिविल अस्पताल- आर्थिक कमजोर ग्रामीण व अन्य लोग प्राइवेट डॉक्टर खर्च वहन नहीं कर सकते। में झोलाछाप के पास जाते हैं क्योंकि वहां सस्ता व उधार इलाज भी होता है। जबकि होना ये चाहिए मरीज सिविल अस्पताल जाएं। वहां फ्री व समुचित इलाज होगा। यदि स्थानीय पर किसी गंभीर बीमारी के लिए व्यवस्था नहीं होगी तो आगे रेफर की सुविधा है एक्सपायरी डोज, गलत इंजेक्शन या रिएक्शन हो सकता है कारण- बीएमओ डॉ. दीपक पालड़िया का कहना है कई बार एक्सपायरी डोज, गलत इंजेक्शन (आईएम को कूल्हे या कमर की बजाय नस में लगाने) से और रिएक्शन से ऐसी स्थिति बनती है। इसलिए, हमेशा क्वालिफाई (कम से कम एमबीबीएस) डॉक्टर से एलोपैथिक इलाज लें।

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