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एक ही ड्रेसर ए-ग्रेड के भरोसे मड़ावदा का अस्पताल, 38 गांव के लोग हैं परेशान


मध्यप्रदेश के उज्जैन क्षेत्र के जहा एक ओर जहां डेंगू, मलेरिया जैसी मच्छर जनित बीमारियां तेजी से अपने पैर पसार रही हैं वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग व पंचायत के जिम्मेदारों की लापरवाही का खामियाजा ग्रामीणों को उठाना पड़ रहा है। ग्राम में सर्दी, खांसी, बुखार से अधिकांश लोग परेशान हैं। हॉस्पिटल में डॉक्टर नहीं होने से बड़ी परेशानियां हो रही हैं। मड़ावदा क्षेत्र बड़ा होने के कारण ग्रामीणों ने स्थाई डॉक्टर के अलावा एक महिला डॉक्टर की मांग की है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मड़ावदा सहित आसपास के लगभग 38 गांवों के नागरिक निर्भर हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र होने के बावजूद मड़ावदा में कोई स्थायी डॉक्टर नहीं होने से मरीजों को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यदि कोई रात्रि में बीमार हो जाता है तो डॉक्टर के अभाव में मजबूरन मरीज को नागदा, खाचरौद या रतलाम ले जाकर इलाज करवाना पड़ता है। ग्रामीणों का कहना है कि ग्राम में लगभग हर घर में एक या दो व्यक्ति सर्दी खांसी, डेंगू, मलेरिया आदि बीमारियों से ग्रस्त है किंतु स्वास्थ्य विभाग द्वारा ग्राम में कोई सर्वे नहीं करवाया जा रहा है, जबकि विभाग को घर-घर जाकर मरीजों को जानकारी लेकर विभाग में पहुंचाना होती है किंतु विभाग की लापरवाही का खामियाजा ग्रामीणजनों को भुगतना पड़ रहा है। अभी तक कोई सर्वे टीम नही आई है। वहीं ग्राम पंचायत की ओर से कोई दवाई का छिड़काव नहीं किया गया है इनका कहना मड़ावदा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर नहीं होने की जानकारी आप के द्वारा मिली है। जल्द ही सांसद महोदय और वरिष्ट संबंधीत अधिकारीयों से चर्चा कर गांव में डाक्टर की नियुक्ती की जाएगी। ताकी किसी भी प्रकार के इजाल के लिए मरिजों को इधर-उधर नहीं भटकना पड़े प्रकाश जैन सांसद प्रतिनिधि उज्जैन इस तरह बिना डॉक्टर के विरान अस्पताल।

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