दलौदा। आधुनिक युग में पश्चात संस्कृति की बड़ी झलक देखने को मिली , जिसको देखने हजारों लोगों की भीड़ जमा हो गई । बारह गांव के पंचों ने भाग लिया और जगह जगह स्वागत भी किया हा में बात कर रहे मंदसौर जिले के छोटे से बाबरेचा गांव के नागदा परिवार ने भाई ने अपनी बहन का मायरा भरने के लिए 11बैलगाड़ी से मायरा लेकर 12 km दूर गांव रिंडा पहुंचे जहां नगर सरकार , गांव प्रधान सरपंच ने समस्त ग्रामवासियों को साथ लेकर मायरा आदर सत्कार के साथ जोरदार स्वागत किया । बीच गांव लदुसा ,पिण्डा ,में भी जगह जगह मायरा का स्वागत किया गया शनिवार को बाबरेचा गांव के नागदा परिवार के द्वारा अपनी बहन का मायरा पुरानी संस्कृति को नई पीढ़ी को दिखाने और पर्यावरण सहित लोकल को वोकल पैटर्न पर रुख अपनाने का मन में सपना था जिसको आज पूरा करने के लिए बैलगाड़ी से मायरा ले जाने का महज 15 दिनों पहले विचार आया तो उन्होंने आज रविवार को प्रातः 11बैलगाड़ी से मायरा शुरू हुआ , सबसे आगे वाली गाड़ी में भगवान सांवरिया सेठ की पालकी बिठाई उसी में सगे दो भाई गाड़ी पालकी को लेकर बैठे जिसका जगह जगह गांव गांव में लोगो ने नुक्कड़ चौराहे पर स्वागत किया । मायरा लेकर बैलगाड़ी से भाई पहुंचे तो बारा 12 गांव के सभी जातीवर्ग के पटेलों को गाड़ियों में बिठाया , वहीं समाज के भाई लोग अपने निजी वाहनों से साथ चले । मायरा मंदसौर तहसील के बाबरेचा से शुरू हुआ जो समीप 12 km दूर रिंडा गांव पहुंचा , जहा के नगर वासियों ने गांव प्रधान सहित सभी सामाजिक संस्थानों ने स्वागत किया । जिसके बाद मेहमानों का भोजन प्रसादी हुई । उसके बाद बहन को मायरा पहनाया गया
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